नव प्रभात
नव प्रभात
नव सृजन का नव प्रभात ये मेरी नव कल्पना
नवयौवना के सुघड़ हाथो सजी खूबसूरत अल्पना
नील नभ में खिल गया रंग नारंगी भला
पुष्पों के कोमल ह्रदय में एक मोती ओस का।
बागों में हर ओर भंवरे गुनगुनाते घूमते
सुन मधुर संगीत पेड़ पौधे झूमते
तितलियां हर फूल के लबों को चूमती
एक मीठी सी सुगन्ध हर ओर देखो घूमती।
फुदक रही डाली डाली पर वो बया गाती हुई
तृण खुश हैं, और धरा है ओस से जगमगाती हुई
लहलहा रहे हैं खेत सरसों और कनक से हरे हरे
खिले हुए है बाग सब गैंदा, गुलाब, सूरजमुखी से भरे भरे।
रंग बिरंगी सी पतंगों से रंग गया आकाश
हर तरफ बिखरी हुई तिल गुड की मिठास
पूरे देश मे मन रहा फसल उत्सव आज
ले रही ऊष्म करवट प्रकृति भी नाज़ से
उत्तरायण हो रहे देव दिनकर आज से।।
आभार - नवीन पहल - ०२.०५.२०२२ 🙏👍🌹😀
# प्रतियोगिता हेतु
Shrishti pandey
03-May-2022 09:22 PM
Nice very nice
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Abhinav ji
03-May-2022 08:47 AM
Nice👍
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Swati chourasia
03-May-2022 07:12 AM
बहुत ही खूबसूरत रचना 👌
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